पूजने तो दो यारों!: राजेंद्र शर्मा (आलेख)
यह तिल का ताड़ और राई का पहाड़ बनाना नहीं, तो और क्या है? और कुछ नहीं मिला, तो अभक्तों ने फुले की जीवनीपरक फिल्म पर सेंसर बोर्ड के यहां-वहां कैंची चलाने पर ही हंगामा कर रखा है. सेंसर बोर्ड वाले भी बेचारे क्या करते? फिल्म ब्राह्मणों की भावनाओं को आहत जो कर रही थी….


