केरल के कोट्टयम में रहने वाले आनंदु अजी की रीयल लाइफ स्टोरी अब सबको पता है कि वह प्रतिभावान शख्स था, जो पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर था और जिसने पिछले दिनों आत्महत्या कर लिया.
26 साल के इस नौजवान का शव तिरुवनंतपुरम के थंबानूर के एक लॉज में मिला था. उसने अपना सुसाइड नोट इंस्टाग्राम पर पोस्ट करके अपनी मौत के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को जिम्मेदार ठहराया है.
जैसा कि अब सोशल मीडिया उजागर करने का सशक्त माध्यम बन गया है. कॉर्पोरेट मीडिया और गोदी मीडिया चाहकर भी
उन चीजों और तथ्यों को छुपा नहीं पाते, जो उनके लिए असुविधाजनक है या जिसे वे बड़ी कुटिलता से दबा देना चाहते हैं.
अब किसी खबर पर कुछ अखबारों के संपादक प्रतिक्रिया नहीं करते क्योंकि उनकी प्रतिक्रिया से पहले ही सोशल मीडिया पर मौजूद लाखों पाठक खबर की चीरफाड़ करके अपना संपादकीय कर्तव्य पूरा कर चुके होते हैं.
यदि सोशल मीडिया न होता तो आनंदु अजी का सुसाइड लेटर पुलिस के पास ही दबकर दम तोड़ देता,
लेकिन यह सोशल मीडिया है जिसने आनंदु अजी की पीड़ादायक कहानी को घर-घर की कहानी बना दिया है.
आज आरएसएस और उसके लठैतों की पहुंच देश के हर घर में बन चुकी है. आरएसएस यौन शोषण करने वाली संस्था है,
यह बात एक स्थापित तथ्य है और आनंदु अजी एक खत्म न होने वाले सिलसिले की एक नई कड़ी, एक नई कहानी और एक नया शिकार भी है.
जिन्होंने भी आरएसएस की संगत की है, उन सबके पास इसका अनुभव है. जो यौन उत्पीड़क होते हैं, वे मजेदार ढंग से चटखारे लेकर इन कहानियों को बखानते हैं.
जो उत्पीड़ित होते हैं, वे शर्म से पूरी जिंदगी जिल्लत झेलते हैं. अधिकांश चुप ही रहे हैं लेकिन कुछ ने अपने मुंह भी खोले हैं.
जिन्होंने भी मुंह खोले हैं, गंदगी का परनाला आरएसएस की ओर ही बहा है. आनंदु अजी ने बचपन से जवानी तक जिल्लत झेली,
ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर नामक बीमारी का शिकार हुआ, जो यौन शोषण के कारण होती है और आखिर में अपना शोषण बर्दाश्त न कर पाने के कारण अपनी ईहलीला समाप्त कर ली.
उसने अपने सुसाइड नोट में बताया है कि किस प्रकार आरएसएस के शिविरों में उसका बचपन से लेकर अब तक यौन शोषण किया जाता रहा है.
आनंदु ने लिखा है कि उसके माता पिता ने बचपन में ही उसे संघ की शाखा में डाल दिया था. यहां पड़ोसी एनएम ने तीन साल की उम्र में उसका शोषण किया था.
जब भी वह कैंप में जाता, उसका शोषण किया जाता था. इसके साथ ही डंडों से कई बार उसे पीटा भी गया.
अपने पत्र में आनंदु ने सभी लोगों को सलाह दी है कि आरएसएस वालों से दोस्ती न करें और अपने पिता, भाई या बेटा को भी इससे दूर रखें.
सुसाइड नोट को किसी व्यक्ति का मृत्यु-पूर्व विधिक बयान माना जाता है, जिसके आधार पर आरोपियों पर कानूनी कार्रवाई संस्थित की जाती है.
तो इस मामले में आरोपी कौन है? निश्चित रूप से वह पड़ोसी एनएम, जिसका जिक्र आनंदु ने अपने पत्र में किया है और जिसकी पहचान कर ली गई है.
वह आरएसएस, जिस पर विश्वास करके आनंदु के माता-पिता ने अपने बच्चे को इसके शिविरों में भेजा और निश्चित ही मोहन भागवत भी, जो इस संस्था के इस समय प्रमुख हैं.
इतनी बड़ी घटना पर न तो भागवत ने मुंह खोला है जो अपने संगठन को इस देश का सबसे बड़ा सांस्कृतिक संगठन बताते हैं,
और न ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिन्होंने पिछले दिनों ही आरएसएस की कथित देशभक्ति का यशोगान किया था.
इन दोनों की आपराधिक चुप्पी यह बताती है कि आरएसएस ब्रांड की पूरी दाल ही काली है और उन पर मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त रूप से प्रथम दृष्टया साक्ष्य मौजूद है.
आरएसएस प्रमुख होने के नाते भागवत अपने संगठन के अंदर चलने वाली आपराधिक गतिविधियों की जिम्मेदारी लेने से इंकार नहीं कर सकते.
आरएसएस जब-तब इस देश के नागरिकों को देशभक्ति का प्रमाणपत्र बांटने का काम करती रहती है.
जब इस देश में तमाम संस्थाओं को पंजीकृत करने के निर्देश दिए जा रहे हैं और जिसके बिना, बैंक उनके खाते खोलने से इंकार कर रही है,
आरएसएस आज भी एक ऐसी अपंजीकृत संस्था है जिसका कोई संविधान और नियमावली नहीं है और न ही सरकार का इस पर कोई नियंत्रण है.
उसके हर साल के हजारों करोड़ रुपयों के हिसाब-किताब, आय-व्यय में कोई पारदर्शिता नहीं हैं.
सभी जानते हैं कि संघी गिरोह विदेशों से हर साल भारी मात्रा में धन जुटाता है. इस पर इसकी कारगुज़ारियों के लिए अतीत में
स्वतंत्र भारत में कई बार प्रतिबंध लगे हैं, लेकिन आज इसने एक ऐसी गैर-संविधानेत्तर संस्था का रूप अख्तियार कर लिया है, जो पिछले दरवाजे से केंद्र सरकार चला रही है.
भाजपा तो मुखौटा है, असली चेहरा तो आरएसएस ही है. इसलिए भाजपा आरएसएस का यशोगान कर सकती है, उसके खिलाफ कार्यवाही नहीं.
आनंदु अजी के मामले में आरएसएस की जो छीछालेदारी हुई है, उसे दबाने के लिए अब पूरे देश में ‘आई लव आरएसएस’ अभियान चलाया जा रहा है.
जिस आरएसएस को लव से इतना हेट है कि हर साल वेलेंटाइन डे पर प्रेमी जोड़ों पर वह अपनी गुंडा फौज को छुट्टा छोड़ देती है,
वही आज ‘आई लव आरएसएस’ अभियान चलाने के लिए बाध्य है और इसकी शुरुआत कर्नाटक से हो चुकी है.
आरएसएस में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है, इसलिए यौन शोषण गुदा मर्दन के रूप में ही होता है.
इसके पहले कि यह संस्था पूरे देश का गुदा-मर्दन करे, हम सभी को सचेत हो जाना चाहिए, दिवंगत आनंदु अजी की नेक सलाह मान लेनी चाहिए,
कम से कम उसे श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए ही सही और हमारे अपने भविष्य को आत्महत्या से बचाने के लिए भी.
(DISCLAIMER-संजय पराते के निजी विचार हैं)


