जन मुद्दों को लेकर गंभीर तथा मनुष्यता की रक्षा के पैरोकर पुर्वांचल गाँधी डॉ संपूर्णानंद मल्ल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखते हुए कहा है कि “हमें हमारा संविधान दे दीजिए बस और कुछ नहीं’.
बिना हीला-हवाली के निजी गाड़ियों पर टोल टैक्स/’डांका टैक्स’ तत्काल समाप्त कर दें या मुझे तब तक कैद खाने में रखा जाय जब तक ऐसी क्रूर, लुटेरी व्यवस्था चल रही है.
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए इनका कहना है कि जिम्मेदारों को पत्र लिखते, ज्ञापन देते, सत्याग्रह और अनशन करके मै तो थक गया हूँ परंतु सरकार ने एक न सुनी.
ऐसा लगता है कि सरकार गूंगी, बहरी, अंधी हो, ‘मनुष्य’ न हो कोई निर्जीव वस्तु हो या चोर लुटेरों की फौज मात्र हो. गण मुखिया से लोगों का कोई रिश्ता नही लगता है.
मैं गुहार लगाता रहा कि मेरा पेट, प्राण, जीवन, आटा, चावल, दाल, तेल, चीनी, दूध, दही, दवा आदि जिस पर सरकार टैक्स लगा रखी है, समाप्त कर दें.
मेरी निजी गाड़ियों पर टोल टैक्स जो हमारी ‘स्वतंत्रता’, ‘सम्मान पूर्वक’ जीने के मौलिक अधिकार की हत्या है, उसे समाप्त कर दें. मैंने अनुनय विनय किया कि “एक समान” निशुल्क शिक्षा, चिकित्सा,
रेल की व्यवस्था यानी ‘गरीब अमीर सबके लिए ‘एक विद्यालय,’ एक चिकित्सालय,’ एक रेल’की व्यवस्था करें, जीवन ‘स्वतंत्रता’ और समानता’ जो हमारा मौलिक अधिकार है,
‘संविधान की आत्मा’ है, इसके लिए बार-बार गुहार लगाई. मुझे हर हाल में संविधान चाहिए इससे कम कुछ नहीं इसे मैं ले कर रहूंगा. सर्वप्रथम गणतंत्र दिवस 26 जनवरी तेंदुआ टोल प्लाजा
गोरखपुर पर निजी गाड़ियों पर टोल टैक्स जो स्वतंत्रता पूर्वक कहीं आने-जाने की हत्या है/लूट’ है, हमारे पैरों में जंजीरे हैं तोडूंगा. मेरे सत्याग्रह के विरुद्ध बल प्रयोग न करें’.
मुझे हाउस अरेस्ट बिल्कुल न करें, मुझे स्वतंत्रता पूर्वक सत्याग्रह करने दें क्योंकि जो कुछ करुंगा शांतिपूर्वक करूंगा. सरकार के पास दो विकल्प हैं या तो निजी गाड़ियों पर टोल टैक्स तत्काल समाप्त कर दे या मुझे तब तक कैद खाने में डाल दे.
जब तक ऐसी क्रूर एवं लुटेरी व्यवस्था चल रही है क्योंकि मैं अपनी वह स्वतंत्रता नहीं खो सकता जो जन्मना ‘नैसर्गिक’ रूप से मां से हासिल है एवं संविधान में जिसकी गारंटी दी गई है.


