निजीकरण के विरोध में बिजलीकर्मियों ने घेरा शक्ति भवन, भारी भ्रष्टाचार की आशंका पर मुख्यमंत्री योगी से हस्तक्षेप की अपील

गोरखपुर हलचल

बिजली के निजीकरण के पीछे भारी भ्रष्टाचार की आशंका जताते हुए विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, गोरखपुर ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से प्रभावी हस्तक्षेप करने की अपील किया है.

बता दें कि राजधानी लखनऊ में संघर्ष समिति के आह्वान पर हजारों बिजली कर्मचारियों ने शक्ति भवन, मुख्यालय का घेराव कर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया है.

बिजली कर्मियों के विरोध प्रदर्शन के चलते निजीकरण हेतु ट्रांजैक्शन कन्सल्टेंट नियुक्त करने की टेक्निकल बिड नहीं खोली जा सकी.
वहीं  मुख्य अभियन्ता कार्यालय मोहद्दीपुर गोरखपुर में हुए विरोध प्रदर्शन में

संघर्ष समिति के पदाधिकारियों पुष्पेन्द्र सिंह, जितेन्द्र कुमार गुप्त, राघवेन्द्र साहू, प्रभुनाथ प्रसाद, संगमलाल मौर्य, ब्रजेश त्रिपाठी, इस्माइल खान, संदीप श्रीवास्तव, प्रवीण कुमार,

राकेश चौरसिया, राजकुमार सागर, विकास श्रीवास्तव, पीयूष श्रीवास्तव, अजय सिंह, पी के श्रीवास्तव, विनोद श्रीवास्तव एवं दिलीप गौतम ने भी सम्बोधित किया.

साथ ही मुख्य अभियन्ता कार्यालय मोहद्दीपुर पर हुए विरोध प्रदर्शन में राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन, गोरखपुर के क्षेत्रीय अध्यक्ष शिवम चौधरी एवं बड़ी संख्या में जूनियर इंजीनियर सम्मिलित हुए.

संघर्ष समिति के पदाधिकारियां ने बताया कि टेक्निकल बिड खोले जाने की अगली तारीख 10 मार्च निर्धारित की गयी है. इस समिति ने ऐलान किया है कि जब तक निजीकरण की चल रही प्रक्रिया पूरी तरह निरस्त नहीं की जाती तब तक संघर्ष जारी रहेगा.

याद दिला दें कि बिजली के निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन का 96वाँ दिन बीत चूका है. ट्रांजेक्शन कंसलटेंट नियुक्त करने की प्रक्रिया में कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट का प्राविधान आर.एफ.पी डॉक्यूमेंट में पहले रखा गया था जिसे जनवरी के महीने में अचानक हटा दिया गया.

इससे ट्रांजेक्शन कंसलटेंट की नियुक्ति में भी भ्रष्टाचार की आशंका बलवती हो जाती है. इस प्राविधान को हटाकर किये जा रहे निजीकरण में भारी घोटाला होने वाला है.

पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की 42 जनपदों की परिसम्पत्तियों का आज तक कोई मूल्यांकन नहीं किया गया है, साथ ही इन दोनों निगमों के रेवेन्यू पोटेंशियल का आंकलन भी नहीं किया गया है.

रेवेन्यू पोटेंशियल का आंकलन और परिसम्पत्तियों का मूल्यांकन किये बिना निजीकरण की प्रक्रिया जारी रखना इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 के सेक्शन 131 का खुला उल्लंघन है.

 

 

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