धर्म का धर्म और धंधे का धंधा: राजेंद्र शर्मा का व्यंग्य

gorakhpur halchal

हम तो पहले ही कह रहे थे कि धर्म है बहुत फायदे का धंधा. बहुत फायदे का यानी सचमुच बहुत ही फायदे का. अब कुंभ को ही ले लीजिए- योगी जी और उनके संगी-संगातियों ने लाखों करोड़ का हिसाब बताकर, कुंभ के खर्चे का सवाल उठाने वालों के मुंह बंद कर दिए हैं.

वैसे कुंभ-वुंभ के खर्चों पर सवाल उठाने वाले अब ज्यादा नहीं बचे हैं. ज्यादातर के मुंह तो पहले ही बंद किए जा चुके हैं: मीडिया वालों के विज्ञापन के पैसों से भरकर और बाकी विरोधियों के गला दबाकर.

जो इक्का-दुक्का बचे हैं, उन्हें अर्बन नक्सल कहकर ही निपटाया जा सकता था. पर योगी जी भी योगी जी ठहरे, लिया और पटक दिया लाखों करोड़ रुपए की कमाई का और लाखों लोगों के रोजगार का हिसाब आलोचकों के सिर पर.

तुक नहीं भी बैठे, तब भी विरोधी बोझ से तो मर ही जाएंगे. अब बताइए, कहां कुछ सात-दस हजार करोड़ रुपए का खर्चा और कहां लाखों करोड़ की कमाई.

लाखों नौकरियां ऊपर से और आध्यात्म का आध्यात्म. कुंभ तो सचमुच फायदे का कुंभ निकला और वह भी छोटी-मोटी मटकी नहीं, बड़ा वाला मटका.

अब प्लीज कोई ये मत कहने लगना कि कुंभ भी आखिरकार है तो मेला ही और मेलों-ठेलों में तो हमेशा कमाई होती ही है. कुंभ कोई साधारण मेला नहीं है, कुंभ और मेलों जैसा मेला नहीं है.

कुंभ हमारे आध्यात्म की प्रदर्शनी है. कुंभ हमारी आस्था का विस्फोट है. कुंभ बना-बनाया वर्ल्ड रिकार्ड है. कुंभ वह है, जो दुनिया में और कहीं न हुआ है और न कभी होगा.

कुंभ हमारे विश्व गुरु होने की सनद है. कुंभ इतना कुछ है, फिर भी ऊपर से कमाई भी है. बल्कि कुंभ की कमाई से हमें तो एक आइडिया आ रहा है. जब एक कुंभ से लाखों करोड़ रुपए की कमाई हो रही है, तो कुंभ की संख्या बढ़ाने के जरिए इस कमाई को कई गुना करने पर सरकार ध्यान दे.

माना कि पूर्ण कुंभ बारह साल में होता है, मगर कुंभ तो हर तीन साल में होता है. यानी और नहीं तो कम से कम, कुंभ हर साल तो कराया ही जा सकता है.

योगी जी के राज में वैसे भी यूपी में रामराज्य आया हुआ है. ऐसे में कुंभों की संख्या बढ़ने का कम से कम भक्त बुरा नहीं मानेंगे. रही बात इंतजामों की, तो योगी जी का राज इन्हीं सब के इंतजामों के लिए तो है.

योगी जी कोई लोगों की रोजी-रोटी जैसी इहलौकिक चीजों का इंतजाम करने के लिए मुख्यमंत्री थोड़े ही बने हैं. वह जैसे दीवाली पर एक साथ दिए जलवाने का वर्ल्ड रिकार्ड बनवाने के लिए मुख्यमंत्री बने हैं,

वैसे ही कुंभ हर साल कराने जैसी नयी हिंदू परंपरा चलाने का रिकार्ड भी उन्हीं के नाम होना चाहिए. हम तो कहते हैं कि धीरे-धीरे यूपी का नाम बदलकर वैसे ही कुंभ प्रदेश किया जा सकता है, जैसे इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयाग राज किया जा चुका है.

आगे चलकर भारत उर्फ इंडिया का नाम भी बदलकर कुंभ देश रखा जा सकता है, एकदम पाक-साफ और पराधीनता की ध्वनियों से पूर्णत: मुक्त. खैर, वह बाद की बात है,

फिलहाल तो योगी जी कुंभ बढ़ाएं और देश की गिरती जीडीपी को मजबूती से सहारा लगाएं. जब इतने कुंभ होंगे, इतनी कमाई होगी, इतना जीडीपी बढ़ेगा, तो जाहिर है कि निर्मला ताई का जीएसटी भी ताबड़तोड़ बढ़ेगा.

दुकानों तो दुकानों पर, लोगों के मेले में आने से लेकर, नदी में नहाने तक पर, जीएसटी लगाया जाएगा. यानी धर्म का धर्म और धंधे का धंधा- यही सनातन सत्य है.

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