संविदाकर्मियों को तत्काल बहाल करने की मांग सहित बिजली कर्मियों का प्रदेश व्यापी विरोध प्रदर्शन जारी

gorakhpur halchal
  • पावर कारपोरेशन प्रबन्धन पर औद्योगिक अशान्ति फैलाने का आरोप 

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के आह्वान पर बिजलीकर्मियों ने समस्त जनपदों एवं परियोजना मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन जारी रखा. इस दौरान संघर्ष समिति ने पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन पर ऊर्जा निगमों में

औद्योगिक अशान्ति का वातावरण बनाने का आरोप लगाते हुए मांग किया है कि हटाये गये समस्त संविदा कर्मियों को तत्काल नौकरी में वापस लिया जाये और हटाये जाने का आदेश निरस्त हो.

संघर्ष समिति के पदाधिकारियों पुष्पेन्द्र सिंह, इस्माइल खान, जितेन्द्र कुमार गुप्त, प्रभुनाथ प्रसाद, संगमलाल मौर्य, अखिलेश गुप्ता, ब्रजेश त्रिपाठी, राकेश चौरसिया, सुजीत कुमार, करुणेश त्रिपाठी,

ओम गुप्ता एवं सत्यव्रत पांडे ने कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के पहले संविदा कर्मियों को हटाकर भय का वातावरण बनाया जा रहा है जो ऊर्जा निगमों की स्वस्थ्य कार्य प्रणाली पर विपरती प्रभाव डाल रहा है.

निजीकरण के बाद दिल्ली में एक साल के अन्दर-अन्दर लगभग 50 प्रतिशत कर्मचारियों को वीआरएस लेने के लिए मजबूर कर दिया गया था. इसी प्रकार 01 फरवरी को चंडीगढ़ विद्युत विभाग का निजीकरण करने के पहले

200 से अधिक बिजली कर्मियों को वीआरएस लेने के लिए बाध्य किया गया. यह संख्या कुल बिजली कर्मियों की संख्या का लगभग आधा है. संघर्ष समिति ने बताया कि उप्र में भी इसी तर्ज पर निजीकरण के पहले संविदा कर्मियों को बड़े पैमाने पर हटाया जा रहा है.

नियमित कर्मचारियों को भलीभांति पता है कि निजीकरण के पहले बड़े पैमाने पर नियमित कर्मचारियों को भी हटाया जायेगा अथवा उन्हें वीआरएस लेने के लिए मजबूर किया जायेगा.

अकेले पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में लगभग 50 हजार संविदा कर्मियों और 26 हजार नियमित कर्मचारियों पर छंटनी की तलवार लटकी हुई है.

संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली कर्मी किसी भी कीमत पर निजीकरण स्वीकार नहीं करेंगे. निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मी निर्णायक संघर्ष के लिए तैयार है, यह विरोध प्रदर्शन 07 फरवरी को भी जारी रहेगा।

आज वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, अलीगढ़, मथुरा, झांसी, बांदा, बरेली, देवीपाटन, अयोध्या, सुल्तानपुर, हरदुआगंज, पारीछा, जवाहरपुर, पनकी, हरदुआगंज, ओबरा, पिपरी और अनपरा में विरोध प्रदर्शन किए गए.

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