उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण के विरोध में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने कहा है कि पूरे सप्ताह प्रांत व्यापी विरोध प्रदर्शन जारी रहेंगे.
संघर्ष समिति ने बताया कि चंडीगढ़ का निजीकरण करने के बाद जम्मू कश्मीर में बिजली के निजीकरण की पहल से देश भर में बिजली कर्मचारियों में उबाल आ गया है और गुस्सा बढ़ गया है.
संघर्ष समिति के प्रमुख पदाधिकारियों पुष्पेन्द्र सिंह, जितेन्द्र कुमार गुप्त, जीवेश नन्दन, अरुण कुमार सिंह, प्रभुनाथ प्रसाद, संगम लाल मौर्य, अखिलेश गुप्ता, राकेश चौरसिया, इस्माइल खान,
संदीप श्रीवास्तव, आशुतोष शाही, अहसान अहमद, विकास राज, सत्यव्रत पांडे एवं ओम गुप्ता ने बताया कि प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ को देखते हुए प्रयागराज में बिजली कर्मी आगामी 05 फरवरी तक कोई आन्दोलन नहीं करेंगे. महाकुंभ के दौरान बिजली कर्मी श्रेष्ठतम बिजली आपूर्ति करने हेतु संकल्पबद्ध हैं.
किन्तु प्रयागराज को छोड़कर सभी जनपदों और परियोजनाओं पर पूरे सप्ताह विरोध प्रदर्शन जारी रहेंगे. 03 फरवरी को जनपद गोरखपुर सहित राजधानी लखनऊ एवं समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर विरोध सभाएं की जाएंगी.
आज जिस तरह से घाटे के नाम पर उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण की बात हो रही है वह आम जनता के साथ धोखा है. पावर कार्पोरेशन प्रबंधन यह कह रहा है कि एक लाख दस हजार करोड रुपए का घाटा है,
लेकिन पॉवर कार्पोरेशन प्रबंधन संघर्ष समिति के बार-बार मांग करने के बावजूद घाटे का विवरण नहीं दे रहा है. संघर्ष समिति ने कहा कि घाटे के झूठे आंकड़े दिए जा रहे हैं.
बिजली बिल का एक लाख 25 हजार करोड़ का बकाया है. एक लाख 10 हजार करोड़ रुपए के घाटे के आंकड़ों को मान भी लिया जाए तो बिजली बिल वसूली के बाद पावर कॉरपोरेशन मुनाफे में है.
संघर्ष समिति ने कहा कि मुनाफे में चल रहे चंडीगढ़ का निजीकरण करने से यह स्पष्ट हो गया है की घाटे या मुनाफा की बात है ही नहीं, निजीकरण किया जाना है, इसलिए निजीकरण किया जा रहा है जिसे बिजली कर्मी कदापि स्वीकार नहीं करेंगे.
जम्मू कश्मीर में निजीकरण का एजेंडा सामने आ गया है. इससे साफ है कि केंद्र सरकार पूरे देश में बिजली का निजीकरण करने पर आमादा है.


