जन सरोकार से जुड़े मुद्दों पर बेबाकी से अपनी राय रखने वाले समाजविद, दिल्ली यूनिवर्सिटी से पीएचडी डॉ संपूर्णानंद मल्ल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर बताया है कि-
“आटा, चावल, दाल, तेल, चीनी, दूध, दही, दवा, जीवन है, इस पर GST जीने के मौलिक अधिकार अनुच्छेद 21 का वायलेशन है.”
निजी गाड़ियों पर लगा हुआ टोल टैक्स कहीं आने-जाने की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार की हत्या है. ‘जीवन’ एवं ‘स्वतंत्रता’ का वायलेशन मै और अधिक नहीं सह सकता हूँ.
इन्होंने माँग किया है कि खाद्य वस्तुओं पर लगी GST एवं निजी गाड़ियों पर टोल टैक्स तत्काल समाप्त कर दें या प्रत्येक टोल पर दोनों तरफ एक-एक टोल लेन फ्री करें ताकि पैसे के अभाव में कहीं आने-जाने के मौलिक अधिकार से कोई वंचित न रह जाए.
बता दें कि पूर्वांचल गाँधी ने अभी तक सैकड़ो पत्र, ज्ञापन, दर्जनों सत्याग्रह किया है परंतु अंग्रेजी वायसराय इरविन की तरह सरकार ने इनके किसी भी पत्र का न तो संज्ञान लिया न ही जवाब दिया.
फिर भी ‘संविधान दिवस’ यानि 26 नवंबर को तेंदुआ टोल प्लाजा गोरखपुर, में ‘निजी गाड़ियों पर टोल टैक्स’ उसी ढंग से तोड़ने का आग्रह प्रेषित किया है जिस प्रकार गांधी ने फिरंगियों का नमक कानून तोड़ा था.
परंतु अब यह ‘सविनय अवज्ञा’ प्रधानमंत्री आवास ‘लोक कल्याण पथ’ नई दिल्ली, संविधान दिवस 26 नवंबर को ‘पेटकर’ (आटा, चावल, दाल, तेल, चीनी, दूध, दही, दवा पर GST) एवं ‘पथकर’ (निजी गाड़ियों पर टोल टैक्स) तोडूंगा, ऐसी घोषणा किया है.
5 किलो अनाज में जीवन की तलाश करने वाले 80 करोड़ कंगाल एवं 22 करोड़ कुपोषित जिनके पास फूटी कौड़ी नहीं है, जीवन की उक्त जरूरतों से वंचित हैं.


