CHAURI CHAURA: राष्ट्रीय प्रेस दिवस के मौके पर ओबीसी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कालीशंकर यदुवंशी ने राज्यपाल उत्तर प्रदेश को ज्ञापन प्रेषित करके
प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल व सोशल मीडिया से जुड़े सभी पत्रकारों की सुरक्षा, सम्मान और सामाजिक सुरक्षा को लेकर 7 सूत्रीय मांग रखा है.
इस मौके पर कालीशंकर यदुवंशी ने कहा कि वर्तमान समय में पत्रकारों की भूमिका लोकतंत्र में चौथे स्तंभ के रूप में अत्यंत महत्वपूर्ण है.
वे समाज का आईना होते हैं, जनता की आवाज को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाते हैं, भ्रष्टाचार और अन्याय के विरुद्ध कलम के माध्यम से लड़ते हैं, तथा लोकतंत्र की रक्षा में चौकसी रखते हैं.
आज के डिजिटल युग में प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, डिजिटल मीडिया, वेब पोर्टल्स, यूट्यूब चैनल्स, और सोशल मीडिया से जुड़े लाखों पत्रकार
अपनी जान जोखिम में डालकर खबरों को जन-जन तक पहुंचा रहे हैं. परंतु बीते कुछ वर्षों में यह देखा गया है कि
पत्रकारों पर हमले, अपमान, उत्पीड़न और दुर्घटनाएं लगातार बढ़ी हैं. कई पत्रकारों को जान से मार दिया गया, तो कईयों की आवाज को दबाया गया.
ऐसे में ओबीसी पार्टी मानती है कि यदि पत्रकार सुरक्षित नहीं होंगे, तो लोकतंत्र कमजोर हो जाएगा.
हम आपसे निवेदन करते हैं कि इस मांग पत्र को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार, केंद्र सरकार व संबंधित विभागों को
आवश्यक निर्देश जारी करें जिससे पत्रकारों की सुरक्षा व कल्याण की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकें.
ओबीसी पार्टी सभी श्रेणियों के पत्रकारों के हित में 7 सूत्रीय मांगें करती है–1. सभी पत्रकारों को “पत्रकार सुरक्षा एवं कल्याण आयोग” बनाकर सुरक्षा और मान-सम्मान की कानूनी गारंटी दी जाए
2. सभी पत्रकारों का कम से कम ₹50 लाख का जीवन और दुर्घटना बीमा कराया जाए 3. सभी अवैतनिक पत्रकारों को सामाजिक सुरक्षा के अंतर्गत ₹10,000 मासिक सामाजिक सुरक्षा भत्ता प्रदान किया जाए
4. सभी पत्रकारों को रोडवेज बसों और ट्रेनों में यात्रा के लिए विशेष रियायतें दी जाएं
5. सूचना विभाग द्वारा सभी सक्रिय पत्रकारों को पहचान-पत्र जारी किया जाए. इसमें डिजिटल पत्रकारों को भी शामिल किया जाए
6. हर जिले, तहसील और ब्लॉक मुख्यालय पर पत्रकारों के लिए एक स्थायी “मीडिया रूम” या प्रेस भवन की व्यवस्था की जाए
7. किसी भी अधिकारी या जनप्रतिनिधि द्वारा पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार या उत्पीड़न की स्थिति में कड़ी दंडात्मक कार्रवाई हो. इसके लिए एक स्वतंत्र शिकायत पोर्टल और त्वरित जांच प्रणाली बनाई जाए


