गोरखपुर: विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, गोरखपुर के तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति में स्पष्ट किया गया है कि
बिजली के निजीकरण और इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2025 के विरोध में बिजली कर्मी, किसान और मजदूर मिलकर राष्ट्रीय स्तर पर कड़ा संघर्ष शुरू करेंगे.
हालाँकि आंदोलन में गोरखपुर के बिजली कर्मियों की भी भूमिका अग्रणी रहेगी. ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन
एवं विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के संयोजक शैलेन्द्र दुबे तथा संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ दर्शन पाल की लखनऊ में हुई तहकीकात में सहमति बनी है.
03 नवम्बर को मुम्बई में नेशनल कोऑर्डिनेशन कमिटी की बैठक में आगे की रणनीति पर निर्णय लिया जाएगा.
शैलेन्द्र दुबे और डॉ दर्शन पाल ने संयुक्त रूप से बताया कि बिजली का निजीकरण केवल कुछ उच्च वर्गीय निजी घरानों को लाभ पहुंचाएगा,
जबकि किसान और गरीब घरेलू उपभोक्ता इससे बुरी तरह प्रभावित होंगे और ऊर्जा के लालटेन युग में वापस जा सकते हैं.
गोरखपुर के बिजली कर्मी, किसान और मजदूर इस षड्यंत्र के विरुद्ध एकजुट होकर व्यापक आंदोलन करेंगे.
लखनऊ की चिनहट में आयोजित संयुक्त किसान मोर्चा की प्रांतीय बैठक में डॉ दर्शन पाल ने बताया कि
यह बिल 09 दिसम्बर, 2021 को भारत सरकार और संयुक्त किसान मोर्चा के मध्य हुए समझौते का सीधा उल्लंघन है.
तत्कालीन कृषि सचिव संजय अग्रवाल द्वारा दी गई लिखित सहमति के बिना इस बिल को लाना भारतीय किसानों और उपभोक्ताओं के साथ विश्वासघात है.
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, गोरखपुर के संयोजक इ. पुष्पेन्द्र सिंह ने स्पष्ट किया कि अमेंडमेंट बिल के अनुसार
बिजली का कॉस्ट रिफ्लेक्टिव टैरिफ लागू होगा, जिसका सबसे बड़ा नुकसान किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं को उठाना पड़ेगा.
एक 07.50 हॉर्स पावर के ट्यूबवेल का बिल महीने के अंत तक 12,000 रुपये या उससे अधिक तक पहुंच जाएगा, जो कि किसानों के लिए असहनीय होगा.
गोरखपुर के सभी विद्युत कर्मी और अभियंता, ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन, ऑल इंडिया पावर डिप्लोमा इंजीनियर्स फेडरेशन,
तथा अन्य उच्च स्तरीय संघों के साथ मिलकर इस निजीकरण और अमेंडमेंट बिल के खिलाफ 03 नवम्बर की बैठक में घोषित राष्ट्रव्यापी आंदोलन में सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करेंगे.
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, गोरखपुर सरकार से मांग करती है कि विद्युत क्षेत्र के निजीकरण और इस बिल को तत्काल वापस लिया जाए
अन्यथा गोरखपुर के संघर्षरत कर्मचारी पूरे जोश और सामर्थ्य के साथ अपने हक और जनता की सुरक्षा के लिए सड़कों पर उतरेंगे.


