गोरखपुर: में डंके की चोट पर स्मार्ट मीटर घोटाला हो रहा है और कार्यदायी संस्था मेसर्स जीनस के द्वारा किए जा रहे घोटाले को छुपाने का बहुत ही गंभीर मामला सामने आया है.
जीनस कंपनी द्वारा पुराने मीटर की जगह स्मार्ट मीटर लगाए गए है किंतु पोर्टल पर प्राप्त मीटर रीडिंग सत्यापन के प्रकरण जो संदिग्ध पाए गए थे.
उन्हें विभागीय अधिकारियों द्वारा निरस्त करते हुए पुराने मीटर उपलब्ध करने हेतु जीनस कंपनी को निर्देशित किया गया था.
रीडिंग घोटाले को छुपाने के लिए जीनस द्वारा पुराने मीटर आज तक उपलब्ध नहीं कराए गए हैं एवं विभागीय अधिकारियों की पोर्टल की ID से छेड़छाड़ कर 17 सितंबर की आधी रात में 13,355 रिजेक्टेड केस अप्रूव कर दिए गए.
जीनस कंपनी के खिलाफ जांच करने हेतु के लिए उच्चाधिकारियों को सूचित किया गया किंतु मुख्य अभियंता गोरखपुर आशुतोष श्रीवास्तव एवं उच्च प्रबंधन द्वारा जीनस कंपनी के साथ साठगांठ कर न तो किसी प्रकार की जांच कराई न ही जांच हेतु कोई समिति गठित की गयी.
इसके विपरीत स्मार्ट मीटर घोटाला उजागर करने वाले अभियंताओं को ही निलंबित करने की कार्यवाही कर जीनस कंपनी के घोटाले को छुपाने का प्रयास किया गया.
संघर्ष समिति ने पुरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग किया है. जीनस कंपनी को बचाने हेतु निलंबन का डर दिखाकर
कुछ अभियंताओं से यह स्वीकार करने का दबाव बनाया गया है कि उन्होंने अपनी ID से स्वयं केस अप्रूव किए हैं और ऐसा लिखकर देने पर उनका निलंबन भी निरस्त कर दिया गया है.
इस प्रकार मेसर्स जीनस को घोटाले में क्लीन चिट देने का प्रयास किया जा रहा है. मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए तो मुख्य अभियंता से लेकर उच्च प्रबंधन भी घोटाला में संलिप्त पाए जाएंगे.
पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल विद्युत निगमों के निजीकरण के संदर्भ में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, गोरखपुर ने चेतावनी दी है कि
यदि जोर जबरदस्ती करके निजीकरण का टेंडर निकाला गया तो टेंडर निकलते ही बिजली कर्मी समस्त जनपदों में सामूहिक जेल भरो आंदोलन प्रारंभ कर देंगे जिसकी सारी जिम्मेदारी प्रबन्धन की होगी.
निजीकरण के विरोध में लगातार चल रहे आंदोलन के 300 दिन पूरा होने पर आज बिजली कर्मियों ने प्रदेश के समस्त जनपदों में जोरदार विरोध प्रदर्शन कर सामूहिक जेल भरो सत्याग्रह प्रारम्भ करने का संकल्प लिया.
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों पुष्पेन्द्र सिंह, जीवेश नन्दन, जितेन्द्र कुमार गुप्त, सीबी उपाध्याय, प्रभुनाथ प्रसाद,
संगमलाल मौर्य, इस्माइल खान, संदीप श्रीवास्तव, करुणेश त्रिपाठी, राजकुमार सागर, विजय बहादुर सिंह एवं राकेश चौरसिया आदि ने कहा कि
“यह विदित हुआ है कि पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन और आल इंडिया डिस्कॉम एसोशिएशन के बीच यह तय हुआ है कि टेंडर की पूरी प्रक्रिया गोपनीय रखी जाय.”
इसके अंतर्गत पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के पांच निगम बनाकर पांच अलग अलग टेंडर निकाले जाएंगे जिनमें एक लिंक दी जाएगी.
लिंक तभी खुलेगी जब टेंडर डालने वाली निजी कंपनी पांच लाख रुपए का भुगतान करें साथ में यह शपथ पत्र भी देना होगा की लिंक खुलने के बाद आरएफपी डॉक्यूमेंट को कोई कंपनी सार्वजनिक नहीं करेगी।
संघर्ष समिति ने कहा कि ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोशिएशन की निजी घरानों के साथ नियमित मुलाकात हो रही है और डिस्कॉम एसोशिएशन निजीकरण के मामले में बिचौलिए की भूमिका का निर्वाह कर रही है.
ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोशिएशन के बीच में आ जाने के बाद से निजीकरण के मामले में लेन देन की चर्चा भी है.
संघर्ष समिति ने कहा कि योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश की सरकार की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति है.
ऐसे में टेंडर की पूरी प्रक्रिया और आरएफपी डॉक्यूमेंट को गोपनीय रखना बहुत गंभीर बात है और इस तरह सारी प्रक्रिया में ही भ्रष्टाचार की बू आ रही है.
संघर्ष समिति ने कहा कि यदि ऐसा होता है तो संभवत: यह देश के इतिहास में पहली बार होगा की लाखों करोड़ रुपए की
परिसंपत्तियों को इतने गुपचुप ढंग से बेचा जा रहा है. संघर्ष समिति ने कहा कि आरएफपी डॉक्यूमेंट को छिपाना बहुत ही गंभीर मामला है.


