गोरखपुर: एम्स गोरखपुर में कार्यकारी निदेशक और सीईओ मेजर जनरल डॉ. विभा दत्ता, एसएम (सेवानिवृत्त) के मार्गदर्शन में नेत्र रोग विभाग द्वारा ग्लूकोमा जागरूकता सप्ताह का आयोजन किया गया.
इस अवसर पर एमबीबीएस प्रथम वर्ष के छात्रों द्वारा जन जागरूकता नाटक प्रस्तुत किया गया जिसमें ग्लूकोमा की प्रगतिशील प्रकृति और समय पर निदान एवं उपचार के महत्व को प्रभावी ढंग से दर्शाया गया.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डीन अकादमिक, प्रो. डॉ. महिमा मित्तल ने ग्लूकोमा की अपरिवर्तनीय प्रकृति पर प्रकाश डाला और इसके आजीवन उपचार की आवश्यकता को रेखांकित किया.
चिकित्सा अधीक्षक प्रो. डॉ. अजय भारती ने कहा कि ग्लूकोमा के कारण होने वाला अंधापन केवल दृष्टि हानि तक सीमित नहीं रहता, बल्कि रोगी के समग्र स्वास्थ्य को प्रभावित करता है.
नियमित नेत्र परीक्षण और समय पर उपचार पर जोर देकर इससे निबटा जा सकता है. वहीं नेत्र रोग विभाग की प्रभारी संकाय, डॉ. अलका त्रिपाठी ने बताया कि ग्लूकोमा के जोखिम कारकों में पारिवारिक इतिहास,
मधुमेह, उच्च रक्तचाप, आंखों में आघात का इतिहास और अत्यधिक चश्मे का नंबर शामिल हैं. उन्होंने ऐसे व्यक्तियों को नियमित रूप से अपनी आंखों की जांच कराने की सलाह दी.
इस अवसर पर डॉ. नेहा सिंह और डॉ. अमित ने ग्लूकोमा के संकेतों और लक्षणों के बारे में जानकारी देकर जागरूकता सप्ताह के महत्व को सामने रखा.
कार्यक्रम के दौरान ग्लूकोमा जागरूकता पर पोस्टर प्रतियोगिता भी आयोजित की गई जिसमें प्रस्तुत पोस्टरों का मूल्यांकन प्रो. डॉ. अजय भारती और प्रो. डॉ. महिमा मित्तल द्वारा किया गया.
ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से नेत्र रोग विभाग की टीम ने शिवपुर और डुमरी खास का सामुदायिक दौरा किया जहां लोगों को ग्लूकोमा के प्रति सचेत किया गया और नेत्र परीक्षण की आवश्यकता पर बल दिया गया.
इस कार्यक्रम के माध्यम से ग्लूकोमा के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने और समय पर जांच एवं उपचार को बढ़ावा देने का सफल प्रयास किया गया.


