स्वतंत्रता सेनानी शहीद परिवारों को न्याय दिलाने के संकल्प के साथ सम्पन्न हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक

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स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी परिवार समिति की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक रकाबगंज गुरद्वारा नई दिल्ली में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सरदार अवतार सिंह की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई.

सबसे पहले संगरूर (पंजाब) के सरदार परमजीत सिंह टिवाना ने अपने सहयोगियों के साथ बैठक में शामिल हुए स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों तथा संगठन के पदाधिकारियों का स्वागत किया.

16 राज्यों से आए संगठन के पदाधिकारियों ने अपने-अपने राज्यों में स्वतंत्रता सेनानी परिवारों के हितों की रक्षा के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी.

संगठन के राष्ट्रीय महासचिव जितेन्द्र रघुवंशी ने विभिन्न राज्यों के सेनानी परिवारों द्वारा भेजे गए सुझावों को सभी के सामने रखा. उन्होंने कुछ माह पहले 48 माननीय सांसदों को सौंपे गए पत्रों का उल्लेख करते हुए कहा कि

“जिन-जिन भाइयों ने शीतकालीन संसद सत्र में सेनानी परिवारों की समस्याओं के समाधान के लिए माननीय सांसदों को पत्र सौंपे थे, उनसे तत्काल ही सम्पर्क कर ध्यानाकर्षित करना चाहिए.

बुरहानपुर (मध्य प्रदेश) से आए सुनील गुजराती ने स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी परिवार समिति के स्वरूप को गैर राजनीतिक बनाए रखने के लिए संगठन में

ऐसे पदाधिकारियों से त्यागपत्र लेने और उनके स्थान पर सेनानी परिवारों में उत्साह भरने तथा सकारात्मक विचार रखने वाले सेनानी परिवारों को रखने का प्रस्ताव रखा.

बिहार के स्वतंत्रता सेनानी पुत्र 7 बार विधायक रहे, 5 बार मंत्री रहे तथा पूर्व लोकसभा सांसद श्री बृशिण पटेल ने अशोक कुमार सिंह तथा अजय कुमार के साथ मिलकर

असम की भांति बिहार में भी सेनानी परिवारों को अन्य प्रान्तों में मिल रही सुविधाएं दिलाने के लिए व्यापक स्तर पर प्रयास करने का आश्वासन दिया.

स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी परिवार समिति के संगठन सचिव कपूर सिंह दलाल ने हर महीने प्रथम रविवार 10 बजे 10 मिनट स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों तथा शहीदों के नाम अभियान

को सेनानी परिवारों को संगठित करने का एक सफल कार्यक्रम बतलाते हुए इसमें परिवार सहित शामिल होने का आह्वान किया, तथा स्वतंत्रता सेनानी परिवारों में नफरत फैलाने वाले,

किसी भी पोस्ट में राजनीतिक टिप्पणी करके सेनानी परिवारों को विभाजित करने वालों को अनुरोध के साथ वाट्सएप समूह से अलग करने की आवश्यकता पर बल दिया.

कोलकाता के मोनोतोष दास ने जानकारी दी कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को दी जाने वाली सम्मान पेंशन भारत सरकार के राजकोष से नहीं, बल्कि आजादी के बाद विभिन्न रियासतों को

दिए जाने वाले प्रिवी पर्स को 1969 में बन्द करके उसी मद से दी जा रही है, यह आम जनता के टैक्स से नहीं दी जा रही है. अतः उसे ज्यों का त्यों उनके परिवारों को हस्तांतरित किया जाना चाहिए, इसके लिए उन्होंने हाई कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया है.

अन्त में महासचिव जितेन्द्र रघुवंशी ने उपस्थित संगठन के पदाधिकारियों से पुनः अनुरोध किया कि महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा हमारे गुरु परम पूज्य गुरुदेव पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी कहा करते थे कि

“ईमानदारी और चरित्र निष्ठा का आभूषण पहनने वाले सफलता के उच्चतम शिखर तक पहुंचते हैं. इस अमर वाक्य को सदैव याद रखें.” 

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