संस्कारों का पतन ही राष्ट्र की मृत्यु है: विशेष आलेख

कभी यह वही भारत था जहाँ द्रौपदी के वस्त्रहरण पर सभ्यता का सिर झुक गया था, और एक स्त्री की लज्जा भंग करने की कोशिश ने महाभारत जैसी भीषण युद्धगाथा को जन्म दिया था. पर आज? आज वही भारत है जहाँ स्त्रियाँ स्वयं अपनी लज्जा के वस्त्र “फ़ैशन” और “आधुनिकता” के नाम पर उतार रही…

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