निषाद पार्टी सप्रीमो डॉ संजय के नेतृत्व में संवैधानिक अधिकार यात्रा पहुँची ग़ाज़ियाबाद

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निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल यानि ‘निषाद पार्टी’ के नेतृत्व में निकाली जा रही संवैधानिक अधिकार यात्रा पाँचवे दिन जनपद ग़ाज़ियाबाद में पहुँची.

यह यात्रा जनपद ग़ाज़ियाबाद की ट्रोनिका सिटी के पूजा कॉलोनी से लोनी तिराहा, बंथला फ़्लाइओवर से टीला कोठी, टीला गाँव में जनसभा से ऑक्सी सोसाइटी से ज़िला कार्यालय भोपुरा तिराहा से राजेंद्र नगर, मोहन नगर से अर्थाला से नया बस अड्डा ग़ाज़ियाबाद पहुँची जहाँ उसका भव्य स्वागत हुआ.

बता दें कि निषाद पार्टी द्वारा माँ शाकुंभरी देवी शक्तिपीठ, जनपद सहारनपुर से संवैधानिक अधिकार यात्रा की शुरुआत की गई है. निषाद पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री डॉ संजय कुमार निषाद खुद इस यात्रा का नेतृत्व कर रहे हैं.

निषाद जी ने कहा कि निषाद पार्टी की स्थापना देश व प्रदेश के मछुआ समाज को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए की गई थी. संवैधानिक अधिकार यात्रा प्रदेश के सभी 18 मण्डल,

200 विधानसभा में जाएगी, तीन चरणों में यात्रा अपने अंतिम पड़ाव नई दिल्ली के इंदिरा गांधी इंदौर स्टेडियम में समापन किया जाएगा. टीला गाँव में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि

“संवैधानिक अधिकार रथ यात्रा को मिल रहे अपर प्रेम और समर्थन से ये तो निश्चित है कि मछुआ समाज के हक़-हक़ूक़ की लड़ाई में वो अकेले नहीं है.”

आज गुर्जर समाज द्वारा जो यात्रा का स्वागत और सम्मान किया है उससे लग रहा है कि मछुआ समाज की लड़ाई में अब दूसरे समाज भी निषाद पार्टी का साथ दे रहे हैं और जल्द ही आरक्षण के लिए संघर्ष कर रहे मछुआ समाज को ख़ुशख़बरी मिलने वाली है.

उन्होंने कहा कि निषाद पार्टी मछुआ समाज के आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक हिस्सा नहीं मिलने के कारण बनाई थी किंतु आज दूसरे समाज के युवाओं का पार्टी से जुड़ना बता रहा है कि

निषाद पार्टी में केवल मछुआ समाज के ही युवा नहीं है बल्कि अन्य पिछड़ी जातियाँ भी निषाद समाज के हक़ अधिकार के लिए निषाद पार्टी के साथ खड़ी हैं.

“महाराजा मिहिर भोज” की जयकार के नारे से अपनी जनसभा की शुरुआत करते हुए कहा कि मछुआ समाज की हक़ अधिकार की लड़ाई के लिए उन्होंने जब 07 जून, 2016 को कसरवल आंदोलन में ट्रेन रोको आंदोलन किया था.

उसकी प्रेरणा के पीछे राजस्थान राज्य में 2015 में गुर्जर आंदोलन से ही ली थी. गुर्जर समाज हमेशा अपने हक़ की लड़ाई पर परचम और विजयी पाने के लिए जाना जाता रहा है.”

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ऐसे में आज उनका इस यात्रा को समर्थन मिलना बता रहा है कि मछुआ समाज के आरक्षण की लड़ाई में केवल मछुआ समाज ही नहीं है गुर्जर समाज के भाई भी कंधे से कंधा मिलाकर चलने को तैयार हैं.

पूर्ववर्ती सरकारों में मछुआ समाज ही नहीं अन्य पिछड़ी और अनुसूचित जातियों की अनदेखी की हैं, अन्य पिछड़ा वर्ग कोटे से मिलने वाला लाभ पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी सरकार के

स्वजातीय लोगों को मिलता रहा है और ठीक उसी प्रकार बहुजन समाज पार्टी की सरकार में अनुसूचित जाति का लाभ भी पूर्ववर्ती बसपा सरकार की मुखिया की स्वजाति लोगो को मिलता रहा है.

आज भी अन्य पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जातीय पाइपलाइन में हैं, संवैधानिक अधिकारों से वंचित हैं. आज रथ यात्रा निकालने का उनका एक मात्र लक्ष्य है कि संविधान में सूचीबद्ध अन्य सभी पिछड़ी, अति पिछड़ी, अनुसूचित और अनुसूचित जनजाति को उनका संपूर्ण अधिकार मिले.

उन्होंने कहा कि प्रदेश में निषाद समाज की दिशा-दशा अनुसूचित जातियों से भी बदतर थी और पूर्ववर्ती सरकारों ने अपने समाज की जातियों को खुश करने के लिए

निषाद समाज को फुटबॉल समझकर मछुआ समय को अनुसूचितजाति में होने का बाद भी कभी अनुसूचित जाति को मिलने वाले से वंचित रखा गया है.

ऐसे में निषाद पार्टी के गठन से बाद से उत्तर प्रदेश की बहुसंख्यक आबादी को निषाद पार्टी के बैनर तले लामबंद करके, केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही योजना का लाभ मछुआ समय को दिलवाने के लिए किया रहा है.

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