बिजली निजीकरण के लिए ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट नियुक्त करने की पूरी प्रक्रिया को अवैधानिक करार देते हुए संघर्ष समिति ने इसे तत्काल निरस्त करने की मांग करते हुए कहा है कि उतावलेपन में जिस प्रकार बिजली के निजीकरण की
सारी प्रक्रिया अवैधानिक ढंग से की जा रही है उससे बिजली कर्मचारियों में भारी गुस्सा व्याप्त हो गया है. इसको लेकर बिजली के निजीकरण के विरोध में 24 मार्च को मेरठ में और 29 मार्च को वाराणसी में बिजली महापंचायत आयोजित की जाएगी.
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों पुष्पेन्द्र सिंह, जितेन्द्र कुमार गुप्त, रोहित राय, प्रभुनाथ प्रसाद, संगमलाल मौर्य, इस्माइल खान, संदीप श्रीवास्तव, ओम गुप्ता, सत्यव्रत पाण्डेय आदि ने बताया कि
“ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट की टेक्निकल बीड का मूल्यांकन करने के लिए हुई बैठक में बनाई गई कमेटी के अतिरिक्त पॉवर कारपोरेशन प्रबंधन के शीर्ष अधिकारी भी सम्मिलित हुए.
इन अधिकारियों ने मनचाही कंपनी के पक्ष में मूल्यांकन हेतु दबाव डाला और पैरवी किया है. यदि यह सच है तो यह बहुत गंभीर मामला है. क्योंकि समिति शुरू से ही कह रही है कि उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण में भारी भ्रष्टाचार होने जा रहा है.”
बिडिंग के लिए जिन तीन कंपनियों से बीड ली गई है वह तीनों कंपनियां कनफ्लिक्ट आफ इंटरेस्ट के दायरे में आती हैं. उन्हें निरस्त करने के बजाय उनका मूल्यांकन किया जा रहा है और मूल्यांकन हेतु
पावर कारपोरेशन के शीर्ष अधिकारियों द्वारा दबाव डाला जा रहा है. यह सब इस बात का स्पष्ट संकेत है कि बिजली के निजीकरण में मेगा घोटाला होने जा रहा है.
समिति ने यह ऐलान किया है कि निजीकरण के नाम पर इस घोटाले से प्रदेश की आम जनता को अवगत कराने हेतु 24 मार्च को मेरठ में और 29 मार्च को वाराणसी में बिजली महापंचायत की जाएगी.
बिजली महा पंचायत की तैयारी हेतु संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारी कल से उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों के दौरे पर निकल जाएंगे और आम जनता को इस घोटाले से अवगत कराएंगे.
09 अप्रैल को लखनऊ में विशाल रैली की जाएगी जिसमें देश के विभिन्न प्रांतो से बिजली कर्मी और अभियन्ता बड़ी संख्या में सम्मिलित होंगे.
गोरखपुर सहित राजधानी लखनऊ एवं वाराणसी,
आगरा, मेरठ, कानपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, प्रयागराज ,अलीगढ़, मथुरा, एटा, झांसी, बांदा, बरेली, देवीपाटन, अयोध्या, सुल्तानपुर, हरदुआगंज, पारीछा, ओबरा, पिपरी और अनपरा में विरोध सभा हुई.


