प्रदेशव्यापी प्रतिरोध दिवस के अंतर्गत गोरखपुर मंडल आयुक्त कार्यालय पर लाल झंडे से लैस सैकड़ो ग्रामीण गरीबों ने जोरदार प्रदर्शन कर प्रशासन से काफी धींगा मुस्ती के बाद ज्ञापन सौपा है.
11:00 बजे जैसे ही बड़ी संख्या में ग्रामीण महेवा से एवं एक जात्था रेलवे स्टेशन से जुलूस निकालकर कमिश्नर कार्यालय पहुंचे वैसे ही एडीएमसीटी, एसपी सिटी के नेतृत्व में दर्जनों पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंच कर लोगों को हटाने लगे.
प्रतिरोध के बाद धरना प्रदर्शन प्रारंभ हुआ जिसे संबोधित करते हुए भाकपा माले राज्य स्थाई समिति के सदस्य राजेश साहनी ने कहा कि प्रदेश एवं सरकारी पार्टी नफरत की आंधी चलाकर लोगों की सुरक्षा में चूक व जिम्मेदारी पर पर्दा डाल रही है.
भारी पैमाने पर गरीबों की बेदखली, कर्ज से पलायन व आत्महत्या, काटी जा रही बिजली, भयंकर बेरोजगारी व महंगाई को छिपाना चाह रही है. प्रदेश में हो रही गैंगरेप व लाकअप में युवाओं की मौत को उजागर होने से रोक रही है.
जो लोग इसे उजागर कर रहे, सच्चाई बयां कर रहे, उस गायिका और महिला प्रोफेसर तक को मुकदमा दर्ज करके मुंह बंद कर देने की कोशिश हो रही है.
दरअसल ये लाठी के बल पर राज चलाना चाहती है, इसको जानता नाकाम करेगी. धरने को किसान नेता शिवाजी राय, अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा के नेता हरिश जयसवाल ने संबोधित करते हुए कहा कि
“उत्तर प्रदेश सरकार किसानों व मजदूर पर सीधे-सीधे हमला कर रही है, उनके लिए न्यूनतम रोजगार की भी व्यवस्था नहीं कर रही है और कर्ज से हो रही मौतों व पलायन के लिए कोई नीति नहीं बन पा रही है.”
धरने को राज्य कमेटी सदस्य मनोरमा चौहान, ऐपवा नेता गीता पांडे, चरगावा प्रभारी भाकपा-माले विनोद भारद्वाज, महेश गुप्ता ने संबोधित करते हुए कहा कि मोदी की सरकार समाज के हर तबके पर महंगाई व बेरोजगारी थोप रही है.
प्रदर्शन में शामिल नेताओं ने अपनी सात सूत्रीय मांग पत्र एडीएम सिटी को सौपा गया जो मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार को संबोधित था. इसमें नेहा राठौर, माद़ी का कोटि के खिलाफ दर्ज मुकदमा तत्काल वापस लेने,
बुलडोजर चलाकर गरीबों को उजाड़ फेंकने के अभियान पर रोक लगाने, मनरेगा में 200 दिन काम देने, 600 मजदूरी देने, सभी गरीबों का बिजली बिल माफ करते हुए 200 यूनिट बिजली फ्री देने व बिजली विभाग का निजीकरण पर रोक लगाने,
माइक्रो फाइनेंस कंपनियों से आरबीआई गाइडलाइन का पालन सुनिश्चित करने, व सभी प्रकार के कर्ज माफ करने, गैंगरेप होने पर संबंधित जिला के पुलिस कप्तान व जिला अधिकारी को दंडित करने, सहारा फाइनेंस में जमा गरीबों का पैसा तत्काल वापस करने की मांग प्रमुख रही.


