निजीकरण के लिए कंसल्टेंट की नियुक्ति के प्राविधानों में किये गये बड़े बदलाव से घोटाले की आशंका

निजीकरण के लिए कंसल्टेंट की नियुक्ति के प्राविधानों में किये गये बड़े बदलाव को देखते हुए विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने कहा है कि कंसल्टेंट की नियुक्ति की प्रक्रिया में

किया गया बड़ा फेरबदल इस बात की आशंका को जन्म दे रहा है. प्रबंधन की निजी घरानों से मिली भगत के कारण ही उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण के नाम पर मेगा घोटाला होने वाला है.

बता दें कि संघर्ष समिति के पदाधिकारियों जितेन्द्र कुमार गुप्त, ब्रजेश त्रिपाठी, प्रभुनाथ प्रसाद, संगमलाल मौर्य, अखिलेश गुप्ता, संदीप श्रीवास्तव, विजय बहादुर सिंह, दयानंद,

प्रवीण कुमार, राजकुमार सागर, विकास राज श्रीवास्तव, पीयूष राज श्रीवास्तव, ओम गुप्ता, सत्यव्रत पाण्डेय, आशुतोष शाही, अहसान अहमद खान, सूरज श्रीवास्तव, विनोद श्रीवास्तव एवं अजय शाही ने बताया कि

“कंसल्टेंट की नियुक्ति में हितों के टकराव का प्राविधान शिथिल कर देना बहुत गम्भीर मामला है. ऐसा लगता है कि पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन की कुछ निजी घरानों से सांठगांठ है और कंसल्टेंट इसी हिसाब से नियुक्त किया जाएगा जो निजीकरण का डॉक्यूमेंट पूर्व निर्धारित निजी कम्पनी के हिसाब से तैयार करेगा.

उन्होंने कहा कि कंसल्टेंट की नियुक्ति भी पूर्व निर्धारित है. इसी दृष्टि से हितों के टकराव के प्रावधान को शिथिल किया गया है और सालाना टर्नओवर और कर्मचारियों की संख्या के प्रावधान में भी बड़ा बदलाव किया गया है.

पहले जारी आर एफ पी डॉक्यूमेंट के अनुसार 500 करोड़ रुपए का टर्न ओवर होना चाहिए था जिसे घटाकर 200 करोड़ रुपए कर दिया गया है और कम्पनी के कर्मचारियों की संख्या 500 से घटाकर 200 कर दी गई है.

संघर्ष समिति ने कहा कि जब कंसल्टेंट की नियुक्ति के टेंडर में बार-बार इतने बड़े बदलाव किए जा रहे हैं तब सबको समझ लेना चाहिए कि पूर्व निर्धारित चहेती कम्पनी को 42 जनपदों की बिजली व्यवस्था सौंपने के टेंडर में कितनी बार बदलाव किए जाएंगे.

यह बेहद गम्भीर मामला है क्योंकि पावर कारपोरेशन प्रबन्धन की इन गतिविधियों से प्रदेश सरकार की पारदर्शिता की नीति को आघात लग रहा है. संघर्ष समिति गोरखपुर के संयोजक पुष्पेन्द्र सिंह ने कहा कि

“आगरा के अर्बन डिस्ट्रीब्यूशन फ्रेंचाइजी के समय भी इसी तरह गलत आंकड़े देकर निजी कंपनी के पक्ष में मनमाने बदलाव किए गए थे जिसका खामियाजा आज तक प्रदेश के उपभोक्ता, पॉवर कारपोरेशन और सरकार भुगत रहे हैं.”

समिति के संरक्षक इस्माइल खान ने बताया है कि पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन झूठ और डर का वातावरण बनाकर निजीकरण करना चाहता है जिसे बिजली कर्मी कदापि स्वीकार नहीं करेंगे.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *