‘उन्हें’ नहीं पता कि ग़ुस्सा किस पर करें!: राजेंद्र शर्मा (PART-2)

मोदी जी आए बिहार के मधुबनी में, बिहार में जल्द ही चुनाव भी तो होना है. सोचा, पब्लिक का दिमाग गर्म है, बेनिफिट ले सकते हैं. फिर क्या था, आंतकवाद पर जमकर बरसे. मधुबनी में हिंदी में तो हिंदी में, अंगरेजी में भी बरसे, ताकि इंग्लैंड-अमरीका तक सुनाई दे. आतंकवादियों को और उनके मददगारों को…

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‘उन्हें’ नहीं पता कि ग़ुस्सा किस पर करें!: राजेंद्र शर्मा (PART-1)

भाई ये गजब देश है. पहलगाम में आतंकवादी हमला हो गया, अट्ठाईस लोग मारे गए और डेढ़ दर्जन से ज्यादा गंभीर रूप से घायल, नाम पूछकर और धर्म देखकर, गोली मारी. फिर भी पब्लिक है कि ठीक से गुस्सा तक नहीं है. लोग गुस्सा भी हो रहे हैं तो बच-बचकर और तो और, जिन्होंने अपने…

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समावेशी पोप फ्रांसिस के दिवंगत होने के मायेने (आलेख: एम ए बेबी, अनुवादक: संजय पराते)

कैथोलिक चर्च के सर्वोच्च प्रमुख होने के बावजूद, दिवंगत पोप फ्रांसिस पूरी दुनिया के लिए एक आध्यात्मिक नेता के रूप में उभरे. वह एक उल्लेखनीय व्यक्तित्व थे, जिन्होंने कैथोलिक चर्च की संस्था में कुछ लोगों के नियंत्रण के खिलाफ गौरतलब रुख अपनाया. बहरहाल, यह नहीं कहा जा सकता है कि इस तरह के हस्तक्षेपों ने…

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पहलगाम हमला पाकिस्तान प्रायोजित लेकिन क्या केंद्र सरकार की नाकामी कुछ कम है?: संजय पराते (PART-2)

पाकिस्तान प्रायोजित इस हमले की जितनी निंदा की जाए, कम है, लेकिन इतना ही यह भी साफ है कि कश्मीर के मामले में इंटेलीजेंस की चौकसी और भारत सरकार की नीतियां बार-बार फेल हुई है. हमले के तुरंत बाद गोदी मीडिया और संघी गिरोह का यह प्रचार भी अब पूरी तरह से झूठा साबित हो…

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पहलगाम हमला पाकिस्तान प्रायोजित लेकिन क्या केंद्र सरकार की नाकामी कुछ कम है?: संजय पराते (PART-1)

नोटबंदी के बाद मोदी सरकार का दावा था कि आतंकवाद की कमर तोड़ दी गई है. संविधान के अनुच्छेद-370 को खत्म करते हुए दूसरा दावा था कि आतंकवाद की जड़ को खत्म कर दिया गया है. संसद में इस सरकार ने बार-बार अपनी पीठ ठोंकी है कि कश्मीर घाटी में सब ठीक है, आतंकवाद कांग्रेस…

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पूजने तो दो यारों!: राजेंद्र शर्मा (आलेख)

यह तिल का ताड़ और राई का पहाड़ बनाना नहीं, तो और क्या है? और कुछ नहीं मिला, तो अभक्तों ने फुले की जीवनीपरक फिल्म पर सेंसर बोर्ड के यहां-वहां कैंची चलाने पर ही हंगामा कर रखा है. सेंसर बोर्ड वाले भी बेचारे क्या करते? फिल्म ब्राह्मणों की भावनाओं को आहत जो कर रही थी….

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विश्व टैरिफ युद्ध: क्या हम तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ रहे हैं? आलेख : संजय पराते)

ट्रंप के सत्ता में आने के बाद विश्व टैरिफ युद्ध शुरू हो चुका है. इस टैरिफ युद्ध ने भारत सहित दुनिया भर के शेयर बाजारों को हिलाकर रख दिया है. खुद अमेरिका इससे अछूता नहीं है, मंदी और बेरोजगारी पसर रही है, ट्रंप की सनक के खिलाफ बड़े-बड़े प्रदर्शन शुरू हो चुके हैं. ट्रंप ने…

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सांसद रवि किशन ने साइबर अपराध के खिलाफ कड़े कानून और फास्ट ट्रैक कोर्ट की उठाई मांग

गोरखपुर से सांसद रवि किशन शुक्ला ने लोकसभा में भारत में बढ़ते साइबर अपराध पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि साइबर अपराध केवल आर्थिक नुकसान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश की संप्रभुता, गोपनीयता, आर्थिक और सामाजिक स्थिरता के लिए भी बड़ा खतरा बनता जा रहा है. आज साइबर अपराध के कई…

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क्या अब हम ‘सच्चा इतिहास’ फ़िल्मों के ज़रिये पढ़ेंगे! आलेख: मुकुल सरल (PART-2)

पिछले कुछ सालों की प्रमुख प्रोपेगैंडा फ़िल्मों का ज़िक्र करें, तो ‘द कश्मीर फाइल्स’ (2022) और ‘द केरला स्टोरी’ (2023) के नाम प्रमुख रूप से हमारे सामने आते हैं. ‘कश्मीर फाइल्स’ में कश्मीरी पंडितों के पलायन और नरसंहार को एक विशेष दृष्टिकोण से दिखाया गया. इसी तरह ‘केरला स्टोरी’ में केरल की लड़कियों के कथित…

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छुड़ाए नहीं छूटेगा गुजरात के दंगों का दाग-आलेख: राजेंद्र शर्मा

बेशक, नरेंद्र मोदी के विरोधी कोई समूचे परिदृश्य से गायब ही नहीं थे. विपक्षी, जैसी कि उनकी जिम्मेदारी थी, इन भयंकर दंगों के संदर्भ में मोदी सरकार की विफलताओं और उसके चलते जान-माल के भयावह नुकसान के खिलाफ लगातार और जोरदार तरीके से आवाज उठा रहे थे और विपक्षी, जिसमें मुख्यधारा के मीडिया का बड़ा…

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