गोरखपुर: एक तरफ जहाँ उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जीरो टॉलरेंस पर कार्य कर रही है वहीं सीएम के शहर गोरखपुर में आरटीओ विभाग पर पूरी तरीके से प्राइवेट बाबूओ का कब्जा हो गया है.
आरटीओ कार्यालय पर तैनात विभागीय लिपिक अपने पास दो, चार प्राइवेट बाबू की सहारे विभाग का सारा कार्य कर रहे हैं जिसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है हालांकि इस वीडियो कि हम पुष्टि नहीं करते हैं कि यह वीडियो कब का है।
वीडियो में प्राइवेट बाबू मनमानी तरीके से सुविधा शुल्क लेकर आम जनमानस का शोषण कर रहा है जिसकी शिकायत कई बार उच्च अधिकारियों से की गई लेकिन अपनी ऊंची पकड़ और रसूख के दम पर इस लिपिक के प्राइवेट बाबूओ पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
हालाँकि शासन का सख्त निर्देश है कि कोई भी सरकारी कर्मचारी अपने साथ प्राइवेट व्यक्ति को नहीं रखेगा, इसके बावजूद भी शासन के आदेश की आरटीओ विभाग की लिपिक धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे हैं.
हर काम के बदले मनमाना सुविधा शुल्क लिए बिना कोई काम नहीं करते हैं अगर किसी ने सवाल कर दिया तो उसकी फाइल पर ताला जरूर लग जाता है.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लिपिक हर्षवर्धन राज के प्राइवेट बाबू विजय मल्ल, हरि सिंह, लिपिक धर्मेंद्र सिंह के प्राइवेट बाबू विजय सिंह, सूरज विश्वकर्मा, मनोज पाल, विनोद पाल, लिपिक अनिल सिंह के प्राइवेट बाबू सुगंध,
उत्तम, दिनेश यादव, लिपिक सभाजीत तिवारी के प्राइवेट बाबू विजयपाल और लिपिक चंद प्रकाश के प्राइवेट बाबू धनंजय यादव, संजय मिश्रा, लिपिक नीलू वर्मा के प्राइवेट बाबू शेषपाल,
विजय श्रीवास्तव के प्राइवेट बाबू सतीश आदि लोग इन लिपिको सारा कर करते हैं इतना ही नहीं एआरटीओ असिस्टेंट ने प्राइवेट व्यक्ति सोमनाथ को रखा है, ऐसा सूत्रों का दावा है.
बहरहाल यह जांच का विषय है कि इनमें से कौन सरकारी कर्मचारी है या आउटसोर्सिंग पर रखे गए हैं यह उच्च अधिकारियों की जांच के बाद ही खुलासा हो सकेगा.
लेकिन आरटीओ कार्यालय भ्रष्टाचार का अड्डा बनता जा रहा है जहां पर मनमाने तरीके से आम जनमानस का शोषण करने का जनता ने आरोप लगाया है.


