विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष और शीर्ष प्रबंधन पर यह आरोप लगाया है कि बड़े पैमाने पर बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओं पर
उत्पीड़न की कार्यवाही कर कार्पोरेशन प्रबंधन ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति का वातावरण उत्पन्न कर रहा है. संघर्ष समिति ने चेतावनी देते हुए कहा है कि ऐसा लगता है
पावर कार्पोरेशन प्रबंधन महाकुंभ के पहले प्रदेश की बिजली व्यवस्था पटरी से उतार देने हेतु आतुर है किंतु बिजली कर्मी इस साजिश को सफल नहीं होने देंगे.
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों इ. पुष्पेन्द्र सिंह, इस्माइल ख़ान, इ. जितेन्द्र कुमार गुप्त, इ. सौरभ श्रीवास्तव, इ. अमित आनंद, अखिलेश गुप्ता, प्रभुनाथ प्रसाद, संगम मौर्य, संदीप श्रीवास्तव एवं विजय बहादुर सिंह ने बताया कि
“विगत कुछ दिनों में जब से बिजली कर्मियों ने निजीकरण के निर्णय का मुखर विरोध करना शुरू किया है, प्रबन्धन बड़े पैमाने पर उत्पीड़नात्मक कार्यवाही करने पर उतारू हो गया है.”
उन्होंने बताया कि कुछ दिनों में ही एक मुश्त समाधान योजना की आड़ लेकर 01 अधीक्षण अभियंता, 12 अधिशासी अभियंताओं, 05 सहायक अभियंताओं,30 जूनियर इंजीनियरों कुल 48 लोगों को निलम्बित किया गया है.
इस दौरान 129 लाइन मैन और 85 मीटर रीडर जो संविदा पर काम कर रहे थे, उन्हें जबरन हटा दिया गया है तथा दर्जनों अभियंताओं और जूनियर इंजीनियरों को चार्ज शीट दी गई है.
संघर्ष समिति ने कहा कि इतने बड़े पैमाने पर पॉवर कार्पोरेशन प्रबंधन द्वारा की जा रही उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियां ऊर्जा निगमों में भय का वातावरण बनाकर निजीकरण की योजना को आगे बढ़ाने की कोशिश माना जा रहा है.
संघर्ष समिति ने कहा कि प्रयागराज में कुछ ही दिनों के बाद महाकुंभ प्रारंभ होने जा रहा है जिस पर सारे विश्व की निगाहें लगी हुई है. प्रदेश के बिजली कर्मचारी महाकुंभ के दौरान प्रदेश की बिजली व्यवस्था में अपना श्रेष्ठतम योगदान देने के लिए कृत संकल्प है.
ऐसे में पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबन्ध निदेशक जिनके कार्यक्षेत्र में महाकुंभ होने वाला है, का यह टकराव का रवैया बेहद अनुचित और चौंकाने वाला है.
संघर्ष समिति ने एक बार फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर विश्वास जताते हुए कहा है कि आप प्रभावी हस्तक्षेप करें जिससे बिजली कर्मचारियों का अनावश्यक उत्पीड़न समाप्त हो और वे पूरे मनोयोग से बिजली व्यवस्था के सुधार में पूर्ववत लगे रह सकें.
सुधार और संघर्ष ही संघर्ष समिति का मूल मंत्र है और इस आधार पर विद्युत व्यवस्था में लगातार सुधार जारी रखते हुए बिजली पंचायत के माध्यम से बिजली कर्मियों का निजीकरण का विरोध अभियान भी जारी रहेगा.
बिजली पंचायत के क्रम में 29 दिसंबर को झांसी में बिजली पंचायत हो रही है जिसमें बुंदेलखंड के तमाम जनपदों के बिजली कर्मचारी, अभियंता, किसान और बिजली उपभोक्ता सम्मिलित होंगे.


