(Saeed Alam Khan)
तेजी से बदलती इस आधुनिक जीवन शैली में अगर हम उन्नति की ओर बढ़ रहे हैं तो नई-नई बीमारियां भी सामने आ रही हैं. आज शुगर, बीपी जैसी बीमारियां लगभग आम होती जा रही हैं.
बता दें कि चिकित्सा क्षेत्र में व्यवसायिक मानसिकता के चिकित्सक अब दिन पर दिन अपने व्यापार को जैसे-तैसे ऊंचाई पर ले जाना चाहते हैं इसमें थोड़ा भी संदेह नहीं है कि सरकार के बिना संरक्षण के ऐसा संभव है.
दिन पर दिन निजीकरण की ओर बढ़ रहे सरकार के कदम की कई लोग आलोचना करने से नहीं चुक नहीं रहे हैं. ताजा मामला उत्तर प्रदेश- उत्तराखंड मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन गोरखपुर ईकाई (यूपीएमएसआरए) तथा एफएमआरएआई से जुड़ा है.
जिन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को गोरखपुर जिला अधिकारी के माध्यम से मेडिसिन रिलेटेड मूवमेंट के तहत 11 सूत्री मांगों का ज्ञापन सौंप कर अवगत कराया है. इनका कहना है कि
दवाओ को GST से मुक्त करना, GDP का 5% स्वस्थ को आबंटित किया जाये, सार्वजनिक क्षेत्र की दवा कम्पनियों को पुनर्जिवित किया जाये, दवा के दामो पर नियन्त्रण किया जाये,
दवा क्षेत्र में कारपोरेट भष्टाचार के विरुद्ध कठोर दण्ड का प्राविधान बनाने, दवाओ की आनलाइन बिक्री पर रोक लागाया जाये, और दवा प्रतिनिधियों के काम पर रोक न लगाये इत्यादि शामिल है.
पूरे कार्यक्रम की अगुआई सचिव प्रवीण द्विवेदी ने किया जबकि कोषाध्यक्ष विनय कुमार गुप्ता, सह सचिव धनंजय श्रीवास्तव, संतोष कुमार, कार्यकारिणी सदस्य प्रमोद पाण्डेय, सौमित्र सिंह , अशोक कुमार कश्यप एवं अरुण पांडेय, अमित कुमार सिंह, सुधीर कुमार सिंह आदि मौजूद रहे.


