कई सौ पत्रों और ज्ञापन देने वाले पूर्वांचल गांधी डॉ मल्ल ने थक हार कर राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को पत्र लिखकर बताया है कि अब “लोकतंत्र मर जाएगा.”
मैंने कई सौ पत्र और ज्ञापन उपराष्ट्रपति, लोकसभा अध्यक्ष, प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री, रेल मंत्री, भूतल परिवहन मंत्री, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को प्रेषित किया किन्तु किसी का जवाब नहीं.
‘संवाद’ एवं जवाबदेही’ मेरा लोकतांत्रिक अधिकार है जिसे आए दिन दरकिनार किया जा रहा है. सरकार के प्रति मैं घृणा एवं आक्रोश’ से भर चुका हूँ.
आखिर मेरे हिस्से का लोकतंत्र कहां है? क्या हम बेरोजगारी, गरीबी, महंगाई, हिंसा, नफरत के बीच मर जाएं? ऐसी व्यवस्था में गांधी, पटेल, जवाहरलाल, भगत सिंह, अंबेडकर, कलाम कहां खोजूँ?
इन्होंने लिखा है कि महोदया “इसके पूर्व कि मैं 6 दिसंबर को सरकार के सभी आर्बिट्रेरी ऑर्डर्स तोड़ू मैं पुनः निवेदन करता हूं कि-आटा, चावल, दाल, तेल, चीनी, दूध, दही, दवा पर
जीएसटी समाप्त कर दें क्योंकि इस पर टैक्स प्राण, पेट, जीवन की हत्या, क्रूरता एवं अपराध है. इस पर कर तो कोई क्रूर, लूटेरा लगा सकता है, अनाज खाकर जीने वाला कोई मनुष्य नहीं लगा सकता.
–निजी गाड़ियों पर टोल टैक्स कहीं आने-जाने की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार की हत्या /लूट है, समाप्त कर दें
–शुल्क रहित, समान शिक्षा यानी गरीब-अमीर सबके लिए ‘एक विद्यालय’, एक चिकित्सालय, एक रेल करें
–मस्जिद के नीचे मंदिर की तलाश फंडामेंटल राइट टू ‘रिलिजियस फ्रीडम’ एवं ‘प्लेसेस ऑफ़ वरशिप (प्रीवेंशन) एक्ट की हत्या है, हमारी एकता को शीशे की तरह तोड़ता है, बंद करें.
–कर एवं कीमतों में वृद्धि के ‘आर्बिट्रेरी ऑर्डर्स’ सरकार वापस ले. सत्य, अहिंसा की पूरी ताकत इसे तोडूंगा.
-हिंदुत्व, हिंदूराष्ट्र के हुड़दंगाई ‘सरकार’ में भी हैं और सरकार के बाहर भी. 14 नवंबर, 2023 कुशीनगर में ‘सत्याग्रह’ के दौरान मेरे ऊपर हमला कर चुके हैं, धमकियां दे रहे हैं.
किसी समय मेरी हत्या कर देंगे इसलिये ‘श्रेणीबद्ध’ सुरक्षा तत्काल भेजें… वैसे भी ‘हिंसा’ एवं ‘नफरत’ फैलाने वाली सरकार में मेरा रत्ति भर भरोसा नहीं है.
बताते चलें कि पत्र की इस प्रति को सम्माननीय मुख्य न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय, मानवाधिकार आयोग को भी प्रेषित किया गया है.


