एक तरफ उत्तर प्रदेश में गोरखपुर जहाँ विस्तार और विकास की नई ऊचाईयां छू रहा है वहीं लोगों को बुनियादी
चिकित्सा सुविधाएँ प्रदेश के अनेक ‘जिला चिकित्सालयों’ में न होना एक साथ अनेक सवाल पैदा करता है.
ताजा मामला जिला चिकित्सालय गोरखपुर का है जहाँ ‘इको मशीन’ न होने पर पूर्वांचल गाँधी डॉ सम्पूर्णनन्द मल्ल ने मुख्यमंत्री योगी को पत्र लिखकर अवगत कराया है.
इन्होंने लिखा है कि लोक चिकित्सा, सार्वजनिक चिकित्सा, जन चिकित्सा, सरकारी चिकित्सा के झूठे वादे की सच्ची तस्वीर है.
यद्यपि पिछले एक दशक में प्रदेश में, चिकित्सा सेवा में गुणात्मक सुधार हुआ है, मेडिकल कॉलेज खुले हैं
परंतु जिस गति से जीवन के लिए गैर ज़रूरी या सेकेंडरी एक्सप्रेस वे, एयरपोर्ट, मंदिर, मदिरालय खुले हैं उस गति से सरकारी चिकित्सा में सुधार नहीं हुआ है.
एक हृदय रोग विशेषज्ञ अपने निजी अस्पताल में गिनती के धनी लोगों के इलाज के लिए इको मशीन रखा है परंतु जिले के 45 लाख लोगों की चिकित्सा के लिए जिला अस्पताल में इको मशीन नहीं है.
21वीं सदी के तीसरी दहाई के पांचवें दशक में प्रदेश के जिला चिकित्सालयों में ‘इको मशीन’ नहीं है, यह कैसा विकास है?
विकास का कौन सा मॉडल है? यदि धनाभाव के कारण मशीन नहीं लग सकी है तो विधायक निधि, लूट-पाट, खाओ पियो निधि से पैसा लेकर प्रदेश के जिला चिकित्सालयों में इको मशीन लगा दी जाए.
इन्होंने अपने पत्र की प्रति उच्च न्यायालय इलाहाबाद, राज्यपाल उ.प्र, चिकित्सा मंत्री, चिकित्सा सचिव, चिकित्सा डायरेक्टर, आयुक्त, जिलाधिकारी मुख्य चिकित्साधिकारी गोरखपुर को भी भेजा है.


