गोरखपुर: कहते हैं बेईमानी के पाँव कितने भी लंबे क्यों न हों ईमानदारी से बड़े नहीं हो सकते हैं. कुछ ऐसा ही मामला बांसगांव क्षेत्र में देखने को मिला है. यहाँ कार्यरत ईमानदार और कर्मठ क्षेत्राधिकारी की
लोकप्रियता और उनके पारदर्शी कार्यशैली ने क्षेत्र में दलालों और गलत प्रवृत्ति के लोगों की नींद उड़ा दी है. लंबे समय से क्षेत्र में सक्रिय दलालों के हित अब खतरे में पड़ते दिख रहे हैं, जिससे उनकी बौखलाहट चरम पर है.
विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक, क्षेत्र में चल रही दलाली और अवैध गतिविधियों पर क्षेत्राधिकारी द्वारा लगातार की जा रही सख्ती और कानूनी कार्रवाई से दलालों का नेटवर्क बुरी तरह चरमराया है.
यही वजह है कि अब कुछ असामाजिक तत्व और उनके संरक्षणदाता पीछे से जोड़तोड़ में लगे हैं ताकि किसी भी तरह इस ईमानदार अधिकारी का स्थानांतरण कराया जा सके.
क्या है मामला?
बांसगांव क्षेत्र में पिछले कुछ महीनों से भ्रष्टाचार, अवैध वसूली और दलाली पर रोक लगी है. क्षेत्राधिकारी ने सख्त कदम उठाते हुए न सिर्फ अपराध पर लगाम लगाया बल्कि आम जनता के बीच भरोसा भी कायम किया
जिसका नतीजा यह हुआ कि—•थानों में जनता की सुनवाई बढ़ी है •अवैध कारोबार पर अंकुश लगा है •स्थानीय स्तर पर दलालों की भूमिका समाप्त हो रही है.
दलालों की बौखलाहट क्यों?
जिन लोगों की आमदनी अवैध तरीकों से हो रही थी, उनका आर्थिक हित सीधे तौर पर प्रभावित हुआ है. अब वही लोग मिलकर इस ईमानदार अफसर को हटवाने के लिए दबाव बना रहे हैं.
सूत्रों की मानें तो ये लोग राजनीतिक पहुँच और प्रशासनिक स्तर पर सिफारिशों का सहारा ले रहे हैं. हालाँकि स्थानीय लोगों ने इस अधिकारी के कार्यशैली की सराहना करते हुए कहा है कि
“हम पहली बार देख रहे हैं कि बिना पैसे के भी काम हो रहा है. हमें ऐसा ही अधिकारी चाहिए जो जनता के लिए काम करे, ना कि दलालों के इशारों पर.”
जनहित को पुख्ता करने के लिए बांसगांव की जागरूक जनता ने अब प्रशासन से मांग किया है कि—ऐसे ईमानदार अधिकारी का स्थानांतरण ना किया जाए, दलालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो, साजिशकर्ताओं की पहचान कर उन्हें बेनकाब किया जाए.


