गोरखपुर: पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को सशक्त करते हुए, गोरखपुर स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ऐंड मैनेजमेंट, गीडा के बी.टेक. (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ऐंड मशीन लर्निंग) विभाग के
पाँच छात्रों ने आतंकवाद के विरुद्ध एक क्रांतिकारी तकनीक विकसित किया है. इन छात्रों ने एक ऐसी ऐंटी टेररिस्ट आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस रायफ़ल बनाया है, जो आतंकियों की पहचान कर स्वचालित रूप से उन्हें निशाना बना सकती है.
इस नवाचार की टीम में शामिल छात्र अंशित श्रीवास्तव, आदर्श कुमार, अभिजीत पांडेय, सत्यम सैनी और आयुष पांडेय का कहना है कि यह तकनीक सीमा पर तैनात हमारे सैनिकों की सुरक्षा और मारक क्षमता को अत्यधिक मज़बूती प्रदान कर सकती है.
टीम लीडर अंशित श्रीवास्तव ने बताया कि कश्मीर में आतंकियों द्वारा बेकसूर लोगों की हत्या से वे अत्यंत आहत हुए. तभी उन्होंने संकल्प लिया कि तकनीक का उपयोग आतंकवाद से निपटने के लिए किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, “हमने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी ए.आई. का सही दिशा में प्रयोग करते हुए इस रायफ़ल को डिज़ाइन किया है, जो देश की सुरक्षा में प्रभावी भूमिका निभा सकती है.”
छात्र आदर्श कुमार ने बताया कि इस प्रोजेक्ट पर संस्थान के इनोवेशन सैल में लगभग आठ महीने की कठिन मेहनत के बाद कार्य संपन्न हुआ. इस रायफ़ल में इमेज आइडेंटिफिकेशन ट्रिगर जैसी तकनीक को शामिल किया गया है,
जो पूर्व में डाले गए आतंकी की तस्वीर से मिलान कर उसकी स्वतः पहचान करती है. आयुष पांडेय ने बताया कि इस डिवाइस को ‘ऐंटी टेररिस्ट ए.आई. गन’ नाम दिया गया है.
इसकी विशेषता यह है कि यह किसी भी टारगेट को पहचानते ही बिना मानवीय हस्तक्षेप के गोलियाँ दाग सकती है. यह तकनीक इतनी उन्नत है कि कोई भी सिग्नल जैमर इसे बाधित नहीं कर सकता, क्योंकि इसमें एक स्वतंत्र आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस माइंड कार्य करता है.
सत्यम सैनी ने बताया कि इस रायफ़ल में लगा डेटा कैमरा किसी संदिग्ध व्यक्ति को देखते ही उसकी इमेज को डेटाबेस से मिलाता है और जैसे ही पहचान होती है, वह टारगेट पर फ़ायर कर देता है.
अंशित ने आगे बताया कि इस रायफ़ल में कई और भी विशेषताएँ जोड़ी गई हैं, जिससे यह तकनीक सीमा पर जवानों के लिए एक वरदान साबित हो सकती है.
छात्र अभिजीत पांडेय ने तकनीकी जानकारी साझा करते हुए बताया कि इस रायफ़ल को बनाने में लगभग ₹2.5 लाख रुपये का खर्च आया और इसे तैयार करने में आठ महीने का समय लगा.
इस गन को बनाने में रैसबैरी पाइ, ऑर्डुइनो, चार प्रकार के कैमरे, इलेक्ट्रॉनिक ट्रिगर, विभिन्न सेंसर्स, मेटल और स्टील का प्रयोग किया गया है. इस उपलब्धि पर संस्थान के निदेशक डॉ. एन. के. सिंह ने छात्रों की सराहना करते हुए कहा
“हमारे संस्थान में इनोवेशन लैब स्थापित है, जहाँ छात्र निरंतर देश और समाज हित में नवाचार कर रहे हैं. यह ऐंटी टेररिस्ट ए.आई. गन देश की सुरक्षा के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम है.”
वर्तमान समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सकारात्मक दिशा में उपयोग अत्यंत आवश्यक है और हमारे छात्रों ने यह सिद्ध कर दिखाया है कि तकनीक का सही प्रयोग आतंकवाद के विरुद्ध अत्यंत प्रभावी हो सकता है.
यह डिवाइस आतंकियों पर निगरानी रखने, पहचानने और त्वरित कार्रवाई करने में सक्षम है. इस अवसर पर संस्थान के अध्यक्ष नीरज मातनहेलिया, सचिव श्याम बिहारी अग्रवाल, कोषाध्यक्ष निकुंज मातनहेलिया एवं संयुक्त सचिव अनुज अग्रवाल ने छात्रों की इस अभिनव उपलब्धि पर शुभकामनाएँ और हार्दिक बधाई दी.


