पूर्वांचल गाँधी डॉ संपूर्णानंद मल्ल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर माँग करते हुए कहा है कि आप मातृ सत्ता हैं और यह संजोग ही है कि इस महान मुल्क 145 करोड लोगों के परिवार की मुखिया हैं.
एक छोटा सा निवेदन आपसे करता हूं हमला रोकिए, युद्ध रोकिए, शांति स्थापित करिए, ‘हथियार संचालित युद्ध से आतंक समाप्त नहीं होता है बल्कि आतंक भूख है, आतंक महंगाई है, आतंक नफरत है.
वास्तव में युद्ध आतंक समाप्त करने का तरीका नहीं है. इन्होंने प्रश्न पूछते हुए कहा है कि बच्चे, महिलाओं, वृद्धों के जीवन की कीमत पर युद्ध क्यों? पहलगाम के पांच चिन्हित आतंकियों की तलाश के लिए पाकिस्तानी ठिकानों पर अटैक क्यों?
पहलगाम आतंकी पाकिस्तान प्रशिक्षित थे या भारतीय आतंकी? आतंकियों को भारत न घुसने देना आसान था या पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर हमला करना’?
आज हम दोषी हैं, अवश्य ही कल भी हम दोषी ठहराए जाएंगे. यदि आतंकी पाकिस्तानी हैं तो इसका यह अर्थ नहीं कि सर्वथा पाकिस्तान दोषी है- मालेगांव बम ब्लास्ट की आतंकी प्रज्ञा ठाकुर है तो क्या इसके लिए भारत दोषी है?
मैं चाहता हूं वसुंधरा आतंक़ रहित हो परंतु आतंकवाद समाप्त करने का हमारा यह तरीका अच्छा नहीं है. 26 लोगों के जीवन का बदला लेने के चक्कर में न जाने कितने 26 मारे जाएंगे? उसमें हमारे लोग भी होंगे और सरहद पार के हमारे जैसे पाकिस्तानी भी.
युद्ध में निर्दोष बच्चों, वृद्ध महिलाएं मारे जाते हैं जो युद्ध से भयभीत होते हैं, रोते हैं. मैं चाहता हूं कि तत्काल युद्ध बंद करें- किसी कीमत पर युद्ध नहीं’.
युद्ध बंदी की घोषणा कमजोरी एवं छोटा होने की निशानी नहीं, मैं इतिहास का विद्यार्थी हूं, भारत ने कभी अपने पड़ोसी मुल्क पर अटैक नहीं किया हमेशा डिफेंड किया और पाकिस्तान तो हमारा अपना मुल्क है.


